भारत में वैसे तो कई लड़ाइयां लड़ी गई, लेकिन पानीपत की लड़ाई का जिक्र इतिहास में बहुत से तरीकों से किया जाता रहा है.
पानीपत की लड़ाई ऐसी लड़ाई थी जिसने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया, दिल्ली के तख्त के लिए हुई पानीपत की लड़ाई के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस लड़ाई में अगर भारतीय राजाओं की जीत होती तो भारत में कभी भी विदेशियों की सत्ता स्थापित नहीं हो पाती.
कहां हुई थी पानीपत की लड़ाई?
यह हम सभी जानते हैं कि महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था, पौराणिक कथाओं के अनुसार पानीपत महाभारत के समय पांडव बंधुओं द्वारा स्थापित पांच शहरों में से एक था.
इसका ऐतिहासिक नाम पाण्डुप्रस्थ है यही पाण्डुप्रस्थ आगे चलकर पानीपत हो गया जो हरियाणा में स्थित है.
यहीं पर भारत की ऐतिहासिक लड़ाई हुई थी, जिसने भारत का इतिहास बदल कर रख दिया.
पानीपत वो स्थान है जहां 12 वीं सदी के बाद से उत्तर भारत के नियंत्रण को लेकर कई निर्णायक लड़ाइयां लड़ी गई, वर्तमान हरियाणा में स्थित पानीपत दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
किन के बीच हुई थी पानीपत की तीनो लड़ाइयां?
अबतक तो आप जान ही गए होंगे की पानीपत एक जगह का नाम है जो हरियाणा के आश-पास है. इसी जगह पानीपत की तीनो लड़ाइयाँ हुई है.
- पानीपत की पहली लड़ाई (1526)
- पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556)
- पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761)
1. पानीपत की पहली लड़ाई
पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुई थी बाबर एक तुर्क था जिसने मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी.
पानीपत की इस पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी की हार हुई, इस लड़ाई में इब्राहिम लोदी और उनके 15000 सैनिक मारे गए, पानीपत की इस पहली लड़ाई में भारत में बैहळून लोदी द्वारा स्थापित लोदी वंश को समाप्त कर दिया, और बाबर का दिल्ली एवं आगरा में दखल हो चला था.
2. पानीपत की दूसरी लड़ाई
पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर 1556 को अकबर और सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के बीच हुई थी.
पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमचंद्र विक्रमादित्य ने पूरी ताकत के साथ लड़ाई लड़ी और वह जीत की ओर बढ़ ही रहे थे लेकिन लड़ाई में एक ऐसा मौका भी आया जब मुगलों की सेना ने सम्राट हेमचंद्र उर्फ हेमू की आंख में तीर मारा.
इस तीर से वह गिर कर बेहोश हो गए, यह घटना युद्ध में जीत रहे सम्राट हेमचंद्र चंद्र के हार का कारण बन गई.
अपने राजा को इस अवस्था में देखकर सेना में भगदड़ मच गई, जिसका फायदा उठाकर मुगल सेना ने कत्लेआम करना शुरू कर दिया, इस दृश्य को देखकर सम्राट हेमचंद्र की सेना भाग गई.
जिसके चलते अकबर या बैरम खान ने हेमचंद्र का सर काट दिया, इसके बाद अकबर का दिल्ली व आगरा पर कब्जा हो गया.
कहते हैं कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का सर काबुल भेज दिया गया, और उनका धड़ दिल्ली के दरवाजे पर लटका दिया गया था.
दूसरी तरफ सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य जहां मारे गए थे वहां उनके समर्थकों ने एक स्मारक बनवाया, आज भी उस जगह पर सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से समाधि स्थल मौजूद हैं.
सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने पंजाब से बंगाल तक अफगान विद्रोहियों के खिलाफ 22 युद्धों को जीता था, और 7 अक्टूबर 1556 को दिल्ली के पुराना किला में अपना राज्य अभिषेक भी करवाया था.
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सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने पानीपत की दूसरी लड़ाई के 1 महीने पहले अकबर के सेनापति तारदिवेग खान को हराकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया था.
3. पानीपत की तीसरी लड़ाई
पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के बीच लड़ी गई पानीपत की तीसरी लड़ाई.
इस लड़ाई में मराठा सैनिक पूरे जोशीले भाव से लड़ रहे थे, लेकिन भारतीय राजाओं के धोखे के चलते उनको हार का सामना करना पड़ा.
पानीपत की इस तीसरी लड़ाई में मराठाओं का साथ किसी भी भारतीय राजा ने नहीं दिया था. इस कारण से उनको हार का सामना करना पड़ा था.
यह हार इतिहास में मराठों की सबसे बुरी हार थी, पानीपत के पहले युद्ध ने एक ओर जहां मुगल साम्राज्य की नींव स्थापित की वहीं दूसरे युद्ध ने अकबर के करीब पांच दशक लंबे शासन की नींव रखी.
जबकि पानीपत की तीसरी लड़ाई में भारत में अंग्रेजों की विजय के रास्ते खोल दिए.
इस लड़ाई के ऊपर और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के ऊपर एक फिल्म भी बन चुकी है जिसका नाम भी पानीपत ही है. यदि आपके पास समय हो तो आप इस फिल्म को जरुर देखे.
मतलब यह है कि पानीपत में यदि हेमचंद्र विक्रमादित्य के साथ दुर्घटना नहीं हुई होती तो देश में मुगल साम्राज्य कभी स्थापित नहीं होता, और अहमद शाह अब्दाली से सदाशिवराव भाऊ पेशवा जीत जाते तो अंग्रेजों की देश में एंट्री नहीं होती.
फिर भी मराठा और राजपूतों ने देश के एक बहुत बड़े भूभाग पर तब तक अपना कब्जा बरकरार रखा जब तक कि अंग्रेजों ने संपूर्ण भारत में अपना शासन स्थापित नहीं कर दिया.
तो ये थे महत्वपूर्ण तीनो पानीपत की लड़ाई से सम्बंधित कुछ जानकारी.
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