नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे मौर्य साम्राज्य के दूसरे सम्राट बिंदुसार की जीवनी के बारे में
हमने अपने पिछले पोस्ट में आपको चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में बताया था अगर आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो आप उसे जरूर पढ़ें – Click Here
बिंदुसार की जीवनी
बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य की दूसरी पत्नी दुर्धरा का पुत्र था. इसका वर्णन मिलता है जैन ग्रंथ परिशिष्टप्रवण मैं जिसे हेमचंद्र में ने लिखा था.
बिंदुसार के बहुत से नाम से और अक्सर एग्जाम में इस से रिलेटेड एक न एक सवाल जरूर आ ही जाता है.
बिंदुसार को यूनानी अमित्रचेस्ट, अमित्रकेटस, अमित्रोकेडेज और अमित्रकेटे के नाम से जानते थे.
स्ट्रैवो इसे अलीट्रोकेड्स के नाम से जानते थे एवं वायु पुराण के अनुसार बिंदुसार का नाम भद्रसार था.
बिंदुसार के शासनकाल मैं तक्षशिला का विद्रोह हुआ था.
कई जगह आपको यह लिखा मिलेगा कि बिंदुसार के शासनकाल में दो विद्रोह हुए थे लेकिन मेरे रिसर्च के अनुसार यह बिल्कुल ही गलत है.
बिंदुसार के शासनकाल में सिर्फ एक ही तक्षशिला का विद्रोह हुआ था. तो अगर आपको इससे संबंधित कोई सवाल आता है तो आप एक विद्रोह हुआ था इसे सही मानेंगे.
तक्षशिला का विद्रोह क्यों हुआ था?
चलिए अब जानते हैं कि बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला में विद्रोह क्यों हुआ था?
यह विद्रोह वहां के अमलयों के विरोध में हुआ था. इसका मुख्य कारण था सम्राट अशोक के बड़े भाई युवराज सुसीम जनता के विरुद्ध था यानी वह जनता के प्रति बहुत ही क्रूर और निर्दई था जिसके खिलाफ में यह तक्षशिला का विद्रोह हुआ था.
तक्षशिला के विद्रोह को रोकने के लिए बिंदुसार ने अशोक को वहां भेजा था. उस समय युवराज सुसीम तक्षशिला का प्रशासक था, और अशोक उस समय मालवा और उज्जैन के प्रशासक थे.
ऐसा बताया जाता है कि बिंदुसार के बहुत से पुत्र थे जिसमें राजकुमार सुसीम इन सब में सबसे बड़ा था जोकि तक्षशिला का शासक था और इसी के क्रूर शासन के कारण तक्षशिला विद्रोह हुआ था.
बिंदुसार किस धर्म को मानता था
बिंदुसार के बारे में दिव्यादान ग्रंथ में आजीवक संप्रदाय बताया गया है, आजीवक संप्रदाय का अर्थ होता है धर्म सहिष्णुता उसका मतलब वह हिंदू धर्म को मानता था.
लेकिन उसे किसी और दूसरे धर्म से किसी भी तरह का कोई परेशानी नहीं थी. जैसे दूसरे राजा अगर जिस धर्म के हैं तो उसी धर्म के लोगों के सुख सुविधा के ऊपर ध्यान देते थे और बाकी अन्य धर्मों को अनदेखा करते थे लेकिन बिंदुसार में ऐसा नहीं था.
बिंदुसार का शासन
चाणक्य जो चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री हुआ करते थे वह चंद्रगुप्त मौर्य के मरने के बाद बिंदुसार का मंत्री बना, आगे चलकर शायद चाणक्य के बूढ़े हो जाने के बाद बिंदुसार ने खल्लाटक और राघगुप्त को अपना मंत्री नियुक्त किया.
बिंदुसार की मृत्यु 273 ईसा पूर्व में हुई थी.
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